विवाह में दहेज मांगना गलत : स्वामी सर्वानंदजी
मोदीपुर में चल रही भागवत में गुजरात से आए अनंत श्री विभूषित द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री सदानंद सरस्वती जी महाराज..
विवाह में दहेज मांगना गलत : स्वामी सर्वदानंद जी.Asking dowry in marriage is wrong: Swami Sarvadananda Ji.
आवाज न्यूज : संवाददाता, महाराष्ट्र, २३ नोव्हेंबर.
रामपुर। मोदीपुर में चल रही भागवत में गुजरात से आए अनंत श्री विभूषित द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री सदानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि व्यक्ति को कभी भी दहेज नहीं लेना चाहिए। कहा कि माता-पिता की संतान उसकी संपत्ति होती है। व्यक्ति को कभी लालच में नहीं पड़ना चाहिए।
धन ज्यादा समय व्यक्ति के पास नहीं रहता। धन चलता रहता है, कभी किसी के पास नहीं रुकता। बताया कि लक्ष्मी वह होनी चाहिए जो हमेशा हमारे पास रहे। हमारा मन तथा बुद्धि सदैव स्पष्ट होनी चाहिए। जिनका मन स्थिर नहीं होता उनके कार्य भी स्थिर नहीं होते हैं। जैसे बादल में चमकने वाली बिजली स्थिर नहीं है। जिनका मन चलचित्रों में है उनकी द्वारा दी गई सलाह भी गलत होती है। कंश कुशासक था, शाशन नहीं कुशासन करता था। भरत ने केवल राम की खड़ाऊ रखकर शासन चलाया। शासन चलाने की निष्ठा होनी
चाहिए। पृथ्वी पर कोई भी अमर नहीं है। आज के समय में लोग अपने प्राणों की रक्षा के लिए दूसरों को प्राणों की बलि दे रहे हैं।
पति पत्नी के बारे में बताते हुए कहा कि पति को सही मार्ग पर चलाने वाली पत्नी है। केवल जीवन भर साथ देने वाली पत्नी नहीं है, उसका कर्तव्य है पति को सही मार्ग दिखाना। मनुष्य को कभी भी ईश्वर की क्रिया में दखल नहीं देना चाहिए, मनुष्य किसी को जीवन या म्रत्यु नहीं दे सकता। मनुष्य जब-जब ईश्वर की क्रिया में दखलंदाजी करता है तब-तब वह दुखी होता है। आज के समय में मनुष्य स्वयं दुखों को निमंत्रण देता है।
वृक्ष काटकर, पहाड़ काटकर आदि क्रियाएं करके स्वयं अपने नाश को दावत दे रहा है। संसार में सभी एक दूसरे से जुड़े हैं, यदि आंख नहीं हो तो संसार को नहीं देख सकते हैं। और यदि संसार ही नहीं होगा तब हम आंख से किसको देखेंगे। निर्मल मन रखने वालों को सदैव भगवान मिलते हैं।
परमात्मा का भजन करने से सदैव हमारा मन सुंदर होता है। इस अवसर पर राजर्षि भूपेन्द्र मोदी जीसमेत कई अतिथि उपस्थित रहे।